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"हुमायूं का मकबरा दिल्ली – इतिहास, वास्तुकला और घूमने की पूरी गाइड (2025)"

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हुमायूं का मक़्बरा – मुग़ल वास्तुकला का पहला प्रतीक  हुमायूं की दरगाह कहाँ मौज़ूद है?  हुमायूं का मक़बरा भारत की दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके में स्थित है। यह यमुना नदी के किनारे एक बड़े باغ में स्थित है।  हुमायूं के मक़बरे का इतिहास  निर्माण की पृष्ठभूमि  हुमायूं का मकबरा, दिल्ली – मुगल काल की भव्यता और  वास्तुकला का प्रतीक, जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है। हुमायूं का मक़बरा मुग़ल सम्राट हुमायूं के निधन के बाद 1558 ई. यह उनकी विधवा बेगम हाजी बेगम ने बनवाया था। इसका डिजाइन फारसी वास्तुकार मीरक मिर्जा घियास ने तैयार किया।  हुमायूं की मृत्यु के बाद "अकबर" ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया।" निर्माण अवधि और व्यय  इस मक़बरे का निर्माण 1565 से 1572 के बीच हुआ और यह मुग़ल शैली का पहला विशाल मक़बरा था जो लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित था। इसकी लागत लगभग 15 लाख रुपये मानी जाती है।  हुमायूं के मक़बरे का निर्माणशास्त्र  चारबाग़ डिज़ाइन (Charbagh Design)  यह भारत का पहला मक़बरा है जो चारबाग उद्यान शैली में डिजाइन किया गया ...

सांची स्तूप का इतिहास, महत्व और रोचक तथ्य – एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका

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सांची स्तूप की पृष्ठभूमि, महत्व और विशेषताएँ  सांची स्तूप का अर्थ क्या है? – एक भूमिका  •सांची स्तूप कौन सा है  •सांची स्तूप का मूल्य क्या है  सांची स्तूप का खूबसूरत और कलात्मक तोरण द्वार, जो भारत की समृद्ध बौद्ध धरोहर को दर्शाता है। यह स्तूप सम्राट अशोक के शासन में बनाया गया था और आज भी इसकी नक्काशी और आर्किटेक्चर अद्वितीय मानी जाती है।  सांची स्तूप मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में स्थित एक प्राचीन बौद्ध स्मारक है। इसे सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था और यह बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए एक पवित्र स्थल माना जाता है। यह स्थान यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।  सांची स्तूप का पूर्वजन्म कथा  सांची स्तूप का ऐतिहासिक मूल्य  सम्राट अशोक और सांची स्तूप का संबंध ज्ञात है।  निर्माण का समय और सम्राट अशोक  सांची स्तूप का निर्माण मौर्य सम्राट अशोक ने कराया था। बौद्ध धर्म अपनाने के बाद वह बौद्ध स्थलों के निर्माण में दिलचस्पी लेने लगे। स्तूप का आधार स्वरूप ईंटों से निर्मित था।  शुंग वंश और सातवाहन वंश का योगदान...

"चीन की महान दीवार का इतिहास और रोचक तथ्य – Great Wall of China की पूरी जानकारी हिंदी में"

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चीन की दीवार का इतिहास, रहस्य और संरचना चीन की दीवार क्या है?  चीन की दीवार का संक्षिप्त वर्णन  चीन की ऐतिहासिक महान दीवार की खड़ी सीढ़ियाँ, जिन पर पर्यटक घने हरे-भरे जंगलों के बीच चढ़ते हुए नज़र आ रहे हैं। चीन की दीवार (The Great Wall of China) सबसे लंबी मानव द्वारा बनाई गई संरचना है। यह दीवार उत्तर चीन के कई पहाड़ों, रेगिस्तानों और घाटियों के बीच स्थित है। इसका मुख्य लक्ष्य था—मंगोल आक्रमणों से चीन की सुरक्षा करना।  चीन की दीवार कापूर्व इतिहास  प्राचीन युग में निर्माण की शुरुआत  चीन की दीवार का निर्माण लगभग 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू हुआ, जब विभिन्न राज्यों ने अपने क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए दीवारें बनानी प्रारंभ की। बाद में चीन के पहले सम्राट क़िन शी हुआंग ने इन दीवारों को मिलाकर एक बड़ी दीवार का निर्माण कराया।  मिंग राजवंश का योगदान  मिंग राजवंश (1368–1644) के दौरान दीवार का सबसे विशाल और मजबूती से निर्मित हुआ। आज जो दीवार नजर आती है, वह प्रमुखतः मिंग युग की है।  चीन के दीवार की भौगोलिक विशेषताएँ  दीवार की चौड़ाई और स्थिति  नील...

Hill Station Near Nagpur – चिखलदरा में ट्रैकिंग, वाइल्डलाइफ और प्रकृति का आनंद लें

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चिखलदरा – नागपुर के निकट स्थित एक आकर्षक पहाड़ी स्थान         "चिखलदरा की वादियों में स्थित ऐतिहासिक मंडप और             हरियाली से घिरा मनोरम दृश्य"  चिखलदरा महाराष्ट्र का एकल कॉफी उत्पादन क्षेत्र है जो सतपुड़ा की पर्वत श्रंखला में स्थित है। यह नागपुर से करीब 230 किलोमीटर की दूरी पर है और अपने ठंडे पर्यावरण, आकर्षक झीलों और वन्यजीवों के लिए जाना जाता है।  चिखलदरा का ऐतिहासिक महत्व   चिखलदरा प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि इसके ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। इसका उल्लेख महाभारत में मिलता है जहाँ भीम ने केचक राक्षस को समाप्त किया था। इसके बाद भीमकुंड का निर्माण हुआ।  गविलगढ़ किला, जो यहाँ मौजूद है, 12वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और इसका संबंध बरार सल्तनत एवं मराठा साम्राज्य से रहा है। यह किला सैन्य दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था और आज भी इसकी विशाल दीवारें और द्वार दर्शकों को अतीत की झलक प्रस्तुत करते हैं।  Historical sites to explore around Chikhaldara  चिखलदरा के जनजातीय समूह और ...

गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास – मुंबई का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

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गेटवे ऑफ इंडिया – मुंबई का ऐतिहासिक प्रवेश द्वार  परिचय (Introduction)           गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई – भारत का ऐतिहासिक                   स्मारक जहाँ हर दिन सैकड़ों पर्यटक घूमने आते हैं।      भारत के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों में गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, जो सिर्फ मुंबई की पहचान नहीं बल्कि भारत के उपनिवेशी अतीत और शानदार वर्तमान का प्रतिनिधित्व भी करता है। अरब सागर के तट पर स्थित यह शानदार द्वार प्रतिवर्ष करोड़ों सैलानियों को आकर्षित करता है।  गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास, मुंबई के पर्यटन स्थल, गेटवे ऑफ इंडिया की डिजाइन, Gateway of India in Hindi  गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास (History of Gateway of India)  ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा स्थापना  अधिक पोस्ट पढे... गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण ब्रिटिश प्रशासन ने 1911 में भारत आए किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के स्वागत के लिए किया था। लेकिन, इसकी वास्तुकला का कार्य 1915 में आरंभ हुआ और यह ...

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास, महत्व और विशेषताएं – भारत की प्राचीन शिक्षा का गौरव

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नालंदा यूनिवर्सिटी: प्राचीन भारत का प्रमुख ज्ञान स्थल  परिचय  नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध शिक्षण केंद्र था, जिसे विश्व का प्रथम आवासीय विश्वविद्यालय कहा जाता है। यह बौद्ध शिक्षाओं, दर्शन और अनेक विषयों के अध्ययन के लिए माहौल था। नालंदा आज भी शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा का केंद्र है।  नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का महत्व, नालंदा विश्वविद्यालय की शैक्षणिक भूमिका  नालंदा विश्वविद्यालय का गौरवपूर्ण अतीत  निर्माण और वृद्धि      "नालंदा विश्वविद्यालय के पुराने खंडहर, जो भारत के बिहार       में पाए जाते हैं, प्राचीन बौद्ध शिक्षा और ज्ञान का अद्वितीय       प्रतीक हैं।"  नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना लगभग 5वीं शताब्दी में गुप्त dynasty के दौरान हुई थी। इसके संस्थापक माने जाने वाले सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने इसे ज्ञान का एक प्रमुख केंद्र बना दिया। इसके बाद कई शासकों ने इस विश्वविद्यालय का विस्तार किया।   नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का वर्ष, क...

भारत के प्रेतवाधित ऐतिहासिक स्थल: रहस्यमय किले और डरावनी कहानियाँ

भारत के भूतिया ऐतिहासिक स्थल: रहस्यमय किलों और उनके किस्से  भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसकी धरती इतिहास, संस्कृति और रहस्यों से समृद्ध है। जहाँ एक तरफ हमें भव्य किलों और राजाओं की कथाएँ सुनने को मिलती हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे प्रेतवाधित ऐतिहासिक स्थल (Haunted Historical Places in India) भी मौजूद हैं जो भय और रहस्य से जुड़े हुए हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध भूतिया किलों, हवेलियों और महलों के बारे में, जिनके पीछे छिपी हैं रहस्यमयी कहानियाँ और किंवदंतियाँ।  भानगढ़ किला, राजस्थान – भारत का सबसे भयानक किला  भानगढ़ किला का असली प्रेतात्मा का किस्सा हिंदी में  अधिक पोस्ट पढे... राजस्थान के अलवर जिले में मौजूद भानगढ़ का किला भारत में सबसे प्रेतवाधित स्थान कहा जाता है। इसे 17वीं सदी में राजा माधो सिंह ने स्थापित कराया था। किंतु इसके पीछे एक दुःखद और रहस्यमय किंवदंती है।  भानगढ़ का भूतिया किस्सा  कहा जाता है कि एक तांत्रिक सिंहा सेवड़ा रानी रत्नावती की खूबसूरती पर फिदा हो गया। उसने रानी को अपने वश में करने के लिए काले जादू का सहारा लिया। लेकिन...

"स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी का इतिहास, रोचक तथ्य और घूमने की पूरी जानकारी – Statue of Liberty Guide in Hindi"

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स्टैचू ऑफ लिबर्टी – स्वतंत्रता का अमेरिका का शानदार प्रतीक  स्वतंत्रता की देवी का परिचय      न्यूयॉर्क के लिबर्टी आइलैंड पर स्थित स्वतंत्रता की देवी, जो              अमेरिका की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का       प्रतिनिधित्व करती है।                   स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, जिसे हिंदी में "स्वतंत्रता की प्रतिमा" कहा जाता है, अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक है। यह मूर्ति अमेरिकी स्वतंत्रता और लोकतंत्र की भावना का प्रतीक मानी जाती है। इसका आधिकारिक नाम Liberty Enlightening the World है, जिसका अर्थ है "दुनिया को रोशन करने वाली स्वतंत्रता।"   अधिक पोस्ट पढ़ें... स्वतंत्रता की प्रतिमा का इतिहास  अमेरिका को फ्रांस से उपहार के रूप में भेंट  फ्रांस ने 1886 में अमेरिका को स्टैचू ऑफ लिबर्टी उपहार में दिया था। यह उपहार मित्रता संबंधों और अमेरिका की स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर था।  उत्पत्ति और स्थापना की प...

"भानगढ़ किला का रहस्य – भारत का सबसे भूतिया किला | Bhangarh Fort History in Hindi"

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भानगढ़ किला का इतिहास और रहस्य भानगढ़ किला किस स्थान पर है?  भानगढ़ किला भारत के राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह किला अरावली पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बना है और जयपुर से लगभग 85 किलोमीटर दूरी पर है। भानगढ़ किला सरिस्का टाइगर रिजर्व के निकट होने के चलते यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है।  भानगढ़ किला का इतिहास  किले की रचना  भानगढ़ किले का निर्माण 16वीं सदी में राजा भगवंत दास ने करवाया था। यह किला उनके बेटे माधो सिंह के लिए बनवाया गया था। माधो सिंह, अकबर के नवरत्नों में से एक राजा मान सिंह के छोटे भाई थे।  वास्तुकला की शैली    राजस्थान का भानगढ़ किला – एक प्राचीन किला है, जो          इतिहास और रहस्यों से भरा हुआ है, और अरावली पर्वतों की    छांव में स्थित है।        भानगढ़ किला राजस्थानी वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। यह किला एक विशाल परिसर में स्थित है, जिसमें महल, मंदिर, और बाजार के अवशेष पाए जाते हैं। पत्थर की सजावट, ऊंचे गेट, और चौड़ी दीवारें इसकी शोभा को परिभाषित करती हैं।  भान...

"लंदन यात्रा गाइड: प्रमुख दर्शनीय स्थल, संस्कृति और इतिहास (हिंदी में)"

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लंदन महानगर: अतीत, यात्रा और सांस्कृतिक संपदा  लंदन, यूनाइटेड किंगडम की राजधानी, केवल एक वैश्विक वित्तीय केंद्र नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। टेम्स नदी के तट पर स्थित यह शहर हर साल millions पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।  लंदन का पूर्ववृत्त  पुरातन काल और रोमन साम्राज्य  अधिक पोस्ट पढे... लंदन की بنیاد लगभग 43 ई. में हुई थी। यह रोमनों द्वारा लॉन्डिनियम के नाम से स्थापित किया गया था। टेम्स नदी के किनारे यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह बन गया। समय के साथ यह वाणिज्य और प्रशासन का केंद्र बन गया।  मध्यकालीन काल  1066 में नॉर्मन विजय के बाद लंदन में कई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य किए गए। टॉवर ऑफ लंदन तथा वेस्टमिंस्टर एबे जैसे स्मारक इसी समय के हैं। यह समय धार्मिक और शाही गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।  आधुनिक लंदन 18वीं और 19वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के दौरान लंदन ने तेज़ी से वृद्धि की। ब्रिटिश साम्राज्य के चरम बिंदु पर यह globe का सबसे बड़ा शहर बन गया। आज भी इसे विश्व के सबसे शक्तिशाली शहरों में माना जाता ह...

"मोहनजोदड़ो: सिंधु घाटी की रहस्यमयी सभ्यता की पूरी जानकारी (2025 गाइड)"

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मोहनजोदड़ो: एक प्राचीन संस्कृति की शानदार कथा  परिचय  "मोहनजोदड़ो के प्राचीन खंडहर – सिंधु घाटी सभ्यता की उन्नत  नगरी का ऐतिहासिक प्रमाण"  भारत और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित सिंधु घाटी सभ्यता का एक अद्वितीय स्थान है — मोहनजोदड़ो। यह एक ऐसा पुरातात्विक स्थल है जिसने मानव सभ्यता के विकास की कथा को एक नया angle प्रदान किया है। आज यह महज खंडहर नहीं, बल्कि इतिहास के सुनहरे पन्नों में अंकित एक बहुमूल्य धरोहर है।  मोहनजोदड़ो का अवलोकन  मोहनजोदड़ो की व्याख्या और नामकरण  'मोहनजोदड़ो' का शब्दार्थ है "मृतकों का टीला" (Mound of the Dead)। इस नाम को वहां के स्थानीय निवासियों ने रखा, लेकिन इसका वास्तविक नाम क्या था, यह आज भी एक रहस्य है।  खोज की कथा  मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में प्रसिद्ध पुरातत्वज्ञ राखालदास बनर्जी ने की थी। इसके पश्चात जॉन मार्शल और अन्य Scholars ने यहाँ व्यापक खुदाई की, जिससे एक व्यवस्थित और योजनाबद्ध शहर का विवरण प्राप्त हुआ।  मोहनजोदड़ो का ऐतिहासिक संदर्भ  सिंधु नदी की सभ्यता का एक भाग  मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता (2500 ई...

"बुर्ज खलीफा: दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का इतिहास, वास्तुकला और पूरी जानकारी (2025)"

बुर्ज खलीफा: इतिहास, निर्माण और पर्यटन से संबंधित संपूर्ण जानकारी  परिचय: वैश्विक स्तर पर सबसे ऊंची संरचना  बुर्ज खलीफा दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में स्थित एक ऊँची इमारत है, जिसे आधुनिक वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण माना जाता है। यह न केवल ऊँचाई में सबसे ऊँची है, बल्कि तकनीकी, डिज़ाइन और पर्यटन के मामले में भी वैश्विक स्तर पर मशहूर है।  हमारे और पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें बुर्ज खलीफा की कथा  निर्माण के लिए प्रेरणा  दुबई सरकार ने 2000 के दशक की शुरूआत में वैश्विक पहचान स्थापित करने के लिए एक प्रतिष्ठित निर्माण करने का निर्णय लिया। इसका लक्ष्य था दुबई को पर्यटन और वाणिज्य का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनाना।  निर्माण की शुरुआत कब हुई और कब समाप्त हुआ  शुरुआत: जनवरी 2004  बाहरी संरचना समाप्त: अक्टूबर 2009  औपचारिक शुरुआत: 4 जनवरी 2010  नाम का संदर्भ  इसे पहले 'बुर्ज दुबई' कहा जाता था। लेकिन उद्घाटन के समय, इसे अबू धाबी के शासक और यूएई के राष्ट्रपति खलीफा बिन जायद अल नाहयान के सम्मान में "बुर्ज खलीफा" के नाम से जाना गया।  बुर्ज खली...

बांधवगढ़ किला: इतिहास, रामायण कनेक्शन, घूमने की जगह और यात्रा गाइड (2025)

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बांधवगढ़ किला: इतिहास, रामायण कनेक्शन, घूमने की जगह और यात्रा गाइड (2025) बांधवगढ़ किले का इतिहास, मध्य प्रदेश का सबसे पुराना किला, बांधवगढ़ किले की विशेषताएँ                       बांधवगढ़ - किला - चित्र भारत की सांस्कृतिक धरोहर में मध्यप्रदेश का बांधवगढ़ किला एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण करता है। यह किला अपनी पौराणिक कथाओं, स्थापत्य कौशल और प्राकृतिक सुंदरता के कारण अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस लेख में हम बांधवगढ़ किले के इतिहास, उसकी संरचना, पर्यटन के महत्व और उससे संबंधित पौराणिक कथाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।  बांधवगढ़ किला कौन से जिले में स्थित है  परिचय मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ किला सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि यह रामायण काल से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं का भी केंद्र है। घने जंगलों से घिरा यह किला भारत के प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के बीच में स्थित है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।  रामायण युग से संबंधित किला  बांधवगढ़ किला रामायण के समय से संबंधित माना ज...

"गीज़ा के पिरामिड: मिस्र की रहस्यमयी विरासत और यात्रा गाइड"

गीज़ा के पिरामिड: प्राचीन मिस्र का आश्चर्यजनक स्मारक  गीज़ा के पिरामिड (Pyramids of Giza) सिर्फ मिस्र का प्रतीक ही नहीं हैं, बल्कि इन्हें प्राचीन काल की सबसे रहस्यमय और विशाल निर्माणों में से एक माना जाता है। यह स्थान आज भी शोधकर्ताओं, इतिहासकारों और सैलानियों के लिए आकर्षण का स्थान बना हुआ है।  गीज़ा के पिरामिडों का इतिहास    ये पिरामिड कब और किस वजह से बनाए गए?  पिरामिड्स ऑफ गीज़ा का निर्माण लगभग 2580 से 2500 पूर्व क्रिस्टम में हुआ। के बीच हुआ था। ये पिरामिड मिस्र के तीन मुख्य फिरौन – खुफू (Khufu), खफरे (Khafre) और मेनकाउरे (Menkaure) की कब्रें हैं। मिस्र की धारणाओं के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को पुनर्जन्म दिया जाता है, इसलिए पिरामिड्स को शानदार तरीके से निर्मित किया गया ताकि आत्मा को सुरक्षित और सम्मानजनक यात्रा प्राप्त हो।  यूनानी एवं रोमन इतिहासकारों का दृष्टिकोण  प्राचीन यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस ने पिरामिड्स का उल्लेख किया और उनकी निर्माण प्रक्रिया को अद्भुत बताया। यह स्थान यूनानी और रोमन युग में भी आश्चर्यजनक रहा है।  पिरामिड्स की वास्त...

गोलकोंडा किला का इतिहास: भव्यता, वास्तुकला और रहस्यों की कहानी

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गोलकोंडा का इतिहास: एक महान किले की गौरव कथा  गोलकोंडा का चित्र गोलकोंडा का किला भारत के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक किलों में से एक है। यह अपनी भव्यता के साथ-साथ इसके समृद्ध इतिहास, वास्तुकला और हीरा व्यापार के लिए भी प्रसिद्ध है। चलिए इस ब्लॉग पोस्ट में गोलकोंडा के इतिहास, वास्तुकला, संस्कृति और पर्यटन महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करें।  गोलकोंडा का ऐतिहासिक मूल्य  प्राचीन गोलकोंडा की उत्पत्ति  यह भी पढ़े: गोलकोंडा (Golkonda Fort) का इतिहास 12वीं शताब्दी में काकतीय राजवंश से संबंधित है। इसे शुरूआत में एक मिट्टी के किले के रूप में वारंगल के काकतीय राजाओं ने बनाया था। बाद में यह बहमनी सुल्तानों के अधीन आया और फिर कुतुबशाही वंश ने इसे शानदार पत्थर के किले में बदल दिया।  गोलकोंडा किले का इतिहास किसने स्थापित किया  कुतुबशाही राजवंश और गोलकोंडा  1518 में कुतुबशाही राजवंश की नींव सुल्तान कुली कुतुब उल मुल्क ने रखी, जिसने हैदराबाद को अपनी राजधानी स्थापित किया। कुतुबशाही राजाओं ने गोलकोंडा को एक प्रमुख प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया। इस समय किले का ...